महुआ के फूलों से गुलजार है घोड़ासर गाव, यहाँ पेड़ो को माना जाता है घर का सदस्य !!

 सराडा  उपखंड क्षेत्र में यह एक ऐसा गांव मात्र गांव है जिसमें हजारों की संख्या में महुआ के पेड़ लगे हुए हैं

महुआ बीनते हुए 

सराडा उपखंड क्षेत्र में एक ऐसा गांव है जहां पर वृक्षों से बेताज मोहब्बत की जाती है( विडियो देखने के लिए निचे जाए ) पेड़ों को परिवार के सदस्य की तरह माना जाता है | जी हां हम बात कर रहे हैं सेमारी पंचायत समिति के घोड़ासर गांव की जहां पर आजकल महुआ के फूलों से पूरा गांव गुलजार हो रहा है गांव में महुआ की पेड़ों की संख्या हजारों में है ऐसे कहीं परिवार हैं जिनके में 100 से ज्यादा पेड़ है यहां के लोगों द्वारा पेड़ों को परिवार का सदस्य मानते हुए उनकी पूरी सेवा करते हैं जिसके फलस्वरूप लोगों को उनके फूलों के रूप में फल मिलता है आजकल पूरे गांव के लोग महू के फूलों को एकत्रित करने में लगे हुए हैं सैकड़ों टन एकत्रित कर अपनी आजीविका चलाते हैं सराडा  उपखंड क्षेत्र में यह एक ऐसा गांव मात्र गांव है जिसमें हजारों की संख्या में महुआ के पेड़ लगे हुए हैं

 

👉: करीब 4000 आबादी वाले इस गांव के एक भी घर ऐसा नहीं होगा जिसमें महुआ का पौधा नहीं होगा यह गांव कई फलों में बिखरा हुआ है पहाड़ी इलाका है जहां पर क्षेत्र जहां लोगों के आजीविका का मुख्य साधन मात्र खेती के साथ-साथ वृक्ष से ही अपनी जीविका चलाते हैं यहां के लोगों द्वारा महू के फूलों को एकत्रित करने की परंपरा है सुबह उठते ही परिवार के सभी सदस्य अपने इस काम में लग जाते हैं दोपहर होते-होते लो पुन: घर लौट जाते हैं इन फूलों को लोग बेचकर अपने अन्य आवश्यक सामग्री का खरीदारी करते हैं ग्रामीणों ने बताया कि इन फूलों के उपयोग शराब बनाने के साथ-साथ ढेकली नामक भोजन बनाया जाता है जिसको बड़े चाव के साथ खाया जाता है


👉ग्राम सरपंच राजेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि हमारी ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा पेड़ पौधों को बेहद प्रेम भावना से रखा जाता है खासकर महू के पेड़ों को परिवार की तरह पाला जाता है गांव के लोगों के फलदार पौधे आजीवक जीविका के रूप में काम आते हैं कहीं परिवार है जिनके पास सैकड़ों की संख्या में महुआ के व अन्य फलदार पेड़ लगा रखे हैं | 




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