किसान बिल क्या है क्या इससे किसानो का होगा नुकसान या फायदा जानिए विस्तार से ?

 

नई दिल्ली: किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही मोदी सरकार ने कृषक उत्पादों की बिक्री के लिए राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून के तहत संचालित मंडियों के अलावा (kishan Billएक वैकल्पिक चैनल मुहैया करने के लिए नया कानून बनाया है. नये कानून में गेहूं, चावल या अन्य मोटा अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल, शाक-सब्जी, फल, मेवा, मसाले, गन्ना और कुक्कुट, सूअर, बकरी, मछली और डेरी उत्पाद सहित ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनका नैसर्गिक या प्रसंस्कृत रूप में मानव उपभोग करता है, उनको कृषक उत्पाद कहा गया है.Also Read - गरीब लड़की के खाते में अचानक आए 10 करोड़ रूपये, पुलिस कर रही है जाच 

वहीं, व्यापार क्षेत्र के तहत फार्म गेट, कारखाना परिसर, भांडागार, कोष्ठागार या साइलो, शीतगार यानी कोल्ड स्टोरेज और कोई अन्य ढांचा या स्थान समेत कोई ऐसा क्षेत्र या स्थान या क्षेत्र आते हैं जहां से देश में कृषक उपज का व्यापार किया जा सके. लेकिन इसके(kishan Bill) अंतर्गत राज्यों के एपीएमसी कानून के तहत गठित बाजार समितियों द्वारा संचालित मंडियां या बाजार यार्ड का परिसर शामिल नहीं है. इसके अलावा लाइसेंसधारक द्वारा व्यवस्थित निजी बाजार यार्ड, प्राइवेट बाजार उप यार्ड, प्रत्यक्ष विपणन संग्रहण केन्द्र और प्राइवेट कृषक उपभोक्ता बाजार यार्ड या परिसर भी शामिल नहीं होगा. Also Read - पंचायत चुनाव कैसे होगा और किस नियमों का करना होगा पालन 

ये कानून में ‘व्यापारी’ से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में या किसी राज्य के भीतर या दोनों में खुद या एक से अधिक लोगों के लिए थोक व्यापार, खुदरा व्यापार, अंतिम उपयोग, मूल्यवर्धन, प्रसंस्करण, विनिर्माण, निर्यात, उपभोग या इसी प्रकार के अन्य मकसद से खरीद करता है. कृषक उपज के व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन और सरलीकरण, विधेयक 2020 को संसद की मंजूरी मिल चुकी है. अब राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा और कोरोना काल में पांच जून को लाए गए कृषक उपज के व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन और सरलीकरण, अध्यादेश 2020 की जगह लेगाAlso Read - Covid 19 : चीनी वैज्ञानिक का खुलासा वुहान लैब से ही आया है कोरोना वायरस 

इस कानून के प्रावधानों के अनुसार, किसी किसान या व्यापारी या इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और लेन-देन करने वाले प्लेटफार्म को, किसी व्यापार क्षेत्र में कृषक उपज में अंतर्राज्यीय या राज्य के भीतर व्यापार करने की आजादी होगी .(kishan Bill) मगर, किसान उत्पादक संगठनों या कृषि सहकारी सोसाइटी के सिवा कोई भी व्यापारी आय-कर अधिनियम, 1961 के तहत पैन कार्ड या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी दस्तावेज के बगैर किसी व्यापार क्षेत्र में किसी कृषक या किसी अन्य व्यापारी के साथ अनुसूचित कृषक उत्पादों का अन्तर्राज्यीय व्यापार या राज्य के भीतर व्यापार नहीं कर सकेगा.

अगर जनहित में आवश्यक हो तो केंद्र सरकार किसी व्यापार क्षेत्र में किसी व्यापारी के लिए इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रणाली, व्यापारिक लेन-देन के तरीके और अनुसूचित कृषक उपज के भुगतान की पद्धति का निर्धारण कर सकती है. कानून में किसानों के उत्पादों की खरीद के दिन या अधिकतम तीन दिनों के भीतर कीमतों का भुगतान करने का प्रावधान है. तीन (kishan Bill)दिनों के भीतर भुगतान करने की सूरत में रसीद पर भुगतान बकाया के साथ किसान को रसीद उसी दिन दी जाएगी.

हालांकि केंद्र सरकार किसान उत्पादक संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी द्वारा भुगतान की अलग प्रक्रिया बना सकती है. पैनकार्ड धारक या केंद्र द्वारा अधिसूचित ऐसे ही दस्तावेज रखने वाला कोई व्यक्ति (किसी व्यष्टि से भिन्न) कोई कृषक निमार्ता संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी, किसी व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के अंतर्राज्यीय या राज्य के भीतर व्यापार को सुगम बनाने के लिए कोई इलेक्ट्रॉनिक व्यापार व लेन-देन प्लेटफार्म स्थापित व उसका संचालन कर सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत आने वाले व्यापार क्षेत्र(kishan Bill) में अनुसूचित कृषक उपज के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.

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